भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना हैं। जिसमें ढलान से मिट्टी या चट्टान नीचे की ओर गिरने लगती है। भूस्खलन प्राकृतिक और मानव निर्मित हो सकता है। यह अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश के मौसम में अधिक देखा जाता हैं। भारत का लगभग 12% क्षेत्र भूस्खलन से प्रभावित है।
उत्तराखंड में सबसे अधिक भूस्खलन होता है। पिछले दो दशकों में इस राज्य में 11,000 से अधिक भूस्खलन हुए हैं। भूस्खलन के कई कारण होते है। जिसकी जानकारी नीचे दी गयी हैं।
1. भारी वर्षा - अत्यधिक वर्षा के कारण मिट्टी नम पड़ जाती है। और अपना स्थान छोड़ने लगती हैं। जिससे भूस्खलन की समस्या उत्पन्न होती है। ढलान वाले क्षेत्रों में भारी वर्षा के कारण सबसे अधिक भूस्खलन होता हैं।
2. भूकंप - भूकंप जमीन को हिला देती है। जिससे ढलानों में अस्थिरता आ जाती है। जिसके कारण भूस्खलन की समस्या उत्पन्न होती हैं। भूकंप सूनामी उत्पन्न करती हैं। जो अप्रत्यक्ष रूप से भूस्खलन उत्पन्न कर सकती हैं।
3. मानवीय गतिविधि - निर्माण, वनों की कटाई और खनन जैसी मानवीय गतिविधियाँ ढलानों को कमजोर कर देती हैं। जिससे भूस्खलन हो सकता है।
4. ढाल की अस्थिरता - कमजोर खड़ी ढलानों पर भूस्खलन का खतरा अधिक होता है। भूगर्भीय कारक जैसे कि मिट्टी या चट्टान का प्रकार, ढलान का कोण और पानी की मात्रा ढलान की अस्थिरता में योगदान कर सकते हैं।