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निर्देशांक क्या है?

निर्देशांक का अर्थ एवं परिभाषाएँ निर्देशांक आर्थिक जगत में होने वाले परिवर्तनों की माप है। ये परिवर्तन विभिन्न तथ्यों के समय, स्थान एवं अन्य विशेषताओं के आधार पर होते हैं। जैसे- सामान्य मूल्य…

निर्देशांक का महत्व लिखिए?

निर्देशांकों का आर्थिक एवं व्यावसायिक क्षेत्र में बहुत अधिक महत्व है। क्योंकि इन क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तन के बारे में जानकारी सूचकांकों के माध्यम से ज्ञात होता है इसलिए इसे आर्थिक वाय…

निर्देशांक की विशेषताएं लिखिए?

निर्देशांक की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं - 1. संख्या द्वारा व्यक्त  - निर्देशांक केवल संख्या में व्यक्त किये जाते हैं। किसी भी प्रकार के परिवर्तन को शब्दों में ही व्यक्त किया जा सकता है। …

निर्देशांक की सीमाएं बताइए?

निर्देशांक की प्रमुख सीमाएँ निम्नांकित हैं - 1. सापेक्ष परिवर्तनों का माप -  निर्देशांकों द्वारा केवल सापेक्ष परिवर्तनों का ही मापन किया जा सकता है निरपेक्ष परिवर्तन का नहीं। इसके माध्यम से …

निर्देशांक कितने प्रकार के होते हैं?

निर्देशांकों को उन विषयों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, जिनमें परिवर्तन का मापन किया जाता है। आर्थिक व व्यावसायिक क्षेत्रों के निर्देशांकों को चार वर्गों में विभाजित किया जाता है जो इस प्…

निक्षेप निधि क्या है?

निक्षेप निधि प्रणाली एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अन्तर्गत स्वामित्व संबंधी परिवर्तन इलेक्ट्रॉनिक बही प्रविष्टि अन्तरण के द्वारा किया जाता है। इस प्रणाली में प्रतिभूतियों का भौतिक आदान-प…

लघु एवं कुटीर उद्योग क्या है?

जिन उद्योगों में एक करोड़ रुपये तक की लगत आती है। वे लघु उद्योग की श्रेणी में रखे जाते हैं। इससे अधिक विनियोग वाले उद्योग को वृहत् उद्योग कहा जाता है। इस अध्याय में हम लघु एवं कुटीर उद्योगों का …

कुटीर उद्योग का वर्गीकरण कीजिए?

कुटीर उद्योग को दो भागों में बाँटा जाता है -  1. ग्रामीण कुटीर उद्योग,  2. शहरी कुटीर उद्योग।  1. ग्रामीण कुटीर उद्योग -  ग्रामीण कुटीर उद्योग वे हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किये…

भारत के औद्योगिक विकास की विवेचना कीजिए?

भारत के औद्योगिक विकास में लघु एवं कुटीर उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार ने योजनावधि में इनके विकास के लिए अनेक प्रयास किये हैं। 1950 में लघु औद्योगिक इकाइय…

लघु एवं कुटीर उद्योग की समस्या का समाधान क्या है?

लघु एवं कुटीर उद्योगों के सुधार के लिए निम्न उपाय किये जा सकते हैं -  1. उत्पादन तकनीक में सुधार -  लघु एवं कुटीर उद्योगों को अपनी उत्पादन तकनीक में सुधार के लिए विशेष प्रयास करना चाहिए। उत्पा…

लघु एवं कुटीर उद्योगों का महत्व क्या है?

भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु एवं कुटीर उद्योग का महत्वपूर्ण स्थान है। महात्मा गाँधी के शब्दों में, भारत का कल्याण उसके कुटीर उद्योग में निहित है। योजना आयोग के अनुसार - लघु एवं कुटीर उद्य…

लघु एवं कुटीर उद्योगों की समस्याएँ ?

लघु एवं कुटीर उद्योगों की प्रमुख समस्याएँ निम्नांकित हैं- 1. कच्चे माल की समस्या -  लघु एवं कुटीर उद्योगों की कच्चे माल से संबंधित पाँच प्रकार की समस्याएँ हैं– स्थानीय व्यापारियों द्…

कर कितने प्रकार के होते हैं?

कर कितने प्रकार के होते हैं वर्तमान में विश्व के लगभग सभी देशों में बहुकर प्रणाली प्रचलित है। करों के स्वभाव, उद्देश्य, कार्य अथवा भुगतान विधि के आधार पर विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने करों का वर्गीकरण …

उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए?

स्वतंत्र भारत सरकार ने सन् 1948 में नवीन औद्योगिक नीति की घोषणा की इस नवीन नीति ने भारत में औद्योगीकरण के द्वार खोल दिये। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से भारत का तीव्रगति से औद्योगिक व…

सूती वस्त्र उद्योग क्या है?

भारत का सूती वस्त्र उद्योग देश का सबसे बड़ा संगठित उपभोक्ता उद्योग है, अत: संगठित उद्योगों में इसका प्रथम स्थान है। विश्व में सूत एवं कपड़े के उत्पादन में भारत का तीसरा स्थान है तथा कपास के उप…

जूट उद्योग क्या है?

जूट उद्योग भारत के सबसे प्राचीन उद्योगों में से एक है। यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पूर्वी भारत की अर्थव्यवस्था की तो इसे रीढ़ की हडड़ी कहा जा सकता है। जूट की खेत…

सीमेंट उद्योग क्या है?

सीमेंट उद्योग भारत का एक महत्वपूर्ण आधारभूत उद्योग है। प्राय: एक देश में सीमेंट का उत्पादन एवं उपभोग, उस देश के औद्योगिक विकास का सूचक होता है। सीमेंट को मानव निर्मित पत्थर कहा जाता है। यह शुष…