सबसे गर्म ग्रह शुक्र हैं। इसका कारण यहाँ मौजूद घना वातावरण हैं। जो प्रकाश को वायुमण्डल से बहार नहीं निकलने देता हैं। जिससे यहाँ का तापमान 900 डिग्री फ़ारेन्हाईट तक पहुंच जाता हैं।
यह पृथ्वी का निकटतम ग्रह है। और यह चार स्थलीय ग्रहों में से एक है। शुक्र सबसे गर्म ग्रह हैं। जिसे आकार और संरचना के आधार पर पृथ्वी की बहन भी कहा जाता हैं। इसका नाम प्रेम और सुंदरता की रोमन देवी के नाम पर रखा गया है। शुक्र दुर्लभ अवसरों पर दिन के उजाले में नग्न आंखों से दिखाई दे सकता है।
- एक दिन की लंबाई - 116 दिन और 18 घंटे।
- सूर्य से दूरी - 108.2 मिलियन किमी।
- गुरुत्वाकर्षण - 8.87 m/s²
- कक्षीय अवधि - 225 दिन।
- सतह क्षेत्र - 460.2 मिलियन वर्ग किमी।
- त्रिज्या - 6,051.8 किमी।
शुक्र ग्रह में कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता के कारण घना और विषैला वातावरण है। जो हमेशा सल्फ्यूरिक एसिड के बादलों से ढका रहता है जिसके कारण इस ग्रह का यह ग्रह अधिक गर्म हो जाता हैं।
शुक्र ग्रह हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है। लेकिन यह सूर्य से दूसरे नंबर का ग्रह होने के बाद भी बुध से अधिक गर्म हैं। शुक्र ग्रह का तापमान 900 डिग्री तक रहता है। जिसके कारण शुक्र ग्रह का रंग जंग खाए लोहे की तरह दिखाई देता है।
शुक्र ग्रह पर हवा का दबाव पृथ्वी की तुलना में 90 गुना अधिक हैं। यदि आप समुद्र में एक मील नीचे जायेंगे तो आपको इस दबाव का अहसास होगा। इस दबाव में बच पाना काफी कठिन हैं।
शुक्र ग्रह सौर मंडल का सबसे अनोखा ग्रह हैं। यह अन्य ग्रहों की तुलना में सूर्य की परिक्रमा विपरीत दिशा में करता है। इस ग्रह में सूर्य पश्चिम में उगकर पूर्व में अस्त होता है।
शुक्र ग्रह को पहली बार एक अंतरिक्ष यान द्वारा देखा गया था। नासा के मैजलन 2 ने 1962 में बादलों से ढकी इस ग्रह का पता लगाया था। तब से कई अंतरिक्ष एजेंसियों ने इस लाल ग्रह के बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास किया हैं।
मैजलन उपग्रह ने शुक्र ग्रह की सतह को रडार से मापा हैं। जबकि सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान ने सबसे पहले शुक्र के जमीन पर अपना पैर रखा हैं। लेकिन अत्यधिक गर्मी और दबाव के कारण अधिक समय तक एक्टिव नही रह पाया।
वातावरण और जलवायु
शुक्र सौरमंडल के चार स्थलीय ग्रहों में से एक है, जिसका अर्थ है कि यह पृथ्वी की तरह एक चट्टानी पिंड है। शुक्र ग्रह द्रव्यमान और आकार में हमारे ग्रह पृथ्वी के समान है। शुक्र का व्यास 12,103.6 और द्रव्यमान 4.867 × 10^24 किलोमीटर है।
शुक्र की सतह पर स्थितियां पृथ्वी से भिन्न हैं क्योंकि इसका घना वातावरण 96.5% कार्बन डाइऑक्साइड है, शेष 3.5% नाइट्रोजन है। सतह का दबाव 9.3 मेगापास्कल है, और औसत सतह का तापमान 464 डिग्री तक राहत है।
कार्बन डाई आक्साइड ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न करता है , जिससे सतह का तापमान कम से कम 735 K हो जाता है।
यह शुक्र की सतह को बुध की तुलना में अधिक गर्म बनाता है, जिसकी सतह का न्यूनतम तापमान 53 के और अधिकतम सतह का तापमान 700 k तक होता है।
भले ही शुक्र सूर्य से बुध की दूरी से लगभग दोगुना है और इस प्रकार बुध के सौर विकिरण का केवल 25% प्राप्त करता है।
ज्वालामुखी
शुक्र ग्रह में सौरमंडल के किसी भी ग्रह की तुलना में अधिक ज्वालामुखी हैं। 1600 से अधिक प्रमुख ज्वालामुखी या ज्वालामुखीय विशेषताएं ज्ञात हैं। ये ज्वालामुखी विभिन्न रूपों में आते हैं। अधिकांश या तो लार्ज शील्ड या छोटे शील्ड ज्वालामुखी हैं, लेकिन कई जटिल विशेषताएं , कई असामान्य निर्माण और कुछ बड़े प्रवाह की विशेषताएं भी रखती हैं।
वर्तमान में किसी के भी सक्रिय होने की जानकारी नहीं दी है, लेकिन हमारा डेटा बहुत सीमित है। इस प्रकार, जबकि इनमें से अधिकांश ज्वालामुखी शायद लंबे समय से मृत हैं, कुछ अभी भी सक्रिय हो सकते हैं।
अधिकांश ग्रह जो 300 मिलियन वर्ष से कम पुराना हैं इनमे अधिक ज्वालामुखी है, और ज्वालामुखीय गतिविधि ने इसके इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ऐसा प्रतीत होता है कि शुक्र की अधिकांश सतह ज्वालामुखीय गतिविधि के आकार की है। शुक्र के पास पृथ्वी की तुलना में कई गुना अधिक ज्वालामुखी हैं, और इसमें 167 बड़े ज्वालामुखी हैं जो 100 किमी से अधिक मे फैले हैं।
पृथ्वी पर इस आकार का एकमात्र ज्वालामुखी परिसर हवाई का बड़ा द्वीप है। शुक्र पृथ्वी की तुलना में अधिक ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय है, क्योंकि इसकी पपड़ी पुरानी है।
ग्रह का तापमान
- शुक्र - 475 डिग्री सेल्सियस
- बुध - 167 डिग्री सेल्सियस
- पृथ्वी - 15 डिग्री सेल्सियस
- मंगल - माइनस 65 डिग्री सेल्सियस
- बृहस्पति- माइनस 110 डिग्री सेल्सियस
- शनि - माइनस 140 डिग्री सेल्सियस
- यूरेनस - माइनस 195 डिग्री सेल्सियस
- नेपच्यून - माइनस 200 डिग्री सेल्सियस
- प्लूटो - माइनस 225 डिग्री सेल्सियस