आर्थिक लगान एवं ठेका लगान में अन्तर
आर्थिक लगान |
ठेका लगान |
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आर्थिक लगान का निर्धारण अधि-सीमांत भूमि व सीमांत भूमि के उपज के अन्तर द्वारा होता है। | ठेका लगान का निर्धारण भूमि की माँग एवं भूमि की पूर्ति के द्वारा होता है। |
आर्थिक लगान में परिवर्तन हो सकता है। सीमांत भूमि की उपज बढ़ जाने से लगान घट जाता है तथा सीमांत भूमि की उपज घट जाने से अधिक लगान बढ़ जाता है। | ठेका लगान स्थिर होता है। क्योंकि यह भूमिपति एवं कृषकों के बीच समझौते के आधार पर निर्धारित होता है। |
आर्थिक लगान पहले से निर्धारित नहीं होता है। क्योंकि यह अधि- सीमांत एवं सीमांत भूमि के उपज का अन्तर होता है। | ठेका लगान भूमिपति एवं कृषकों के बीच हुए समझौते के अनुसार पहले से निर्धारित होता है। |
आर्थिक लगान न्यायपूर्ण होता है। क्योंकि यह भूमि के उपजाऊपन का पुरस्कार होता है। इससे कृषकों का शोषण नहीं होता है। | जब ठेका लगान, आर्थिक लगान से अधिक हो जाता है। तब यह अन्यायपूर्ण हो जाता है। इससे कृषकों का शोषण होता है। |
आर्थिक लगान एक सैद्धांतिक विचार है। | ठेका लगान एक व्यावहारिक विचार है। |
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