फसल चक्र क्या है - what is crop rotation

सहस्रों वर्षों के अनुभव से भारतीय किसानों ने जान लिया कि एक खेत पर निरन्तर बिना विश्राम के फसल लेते रहे तो मृदा का उपजाऊपन कम हो जाता है। किसानों ने अपने अनुभवों द्वारा खेत की मृदा के उपजाऊपन को बनाये रखने हेतु खेत को एक मौसम या एक वर्ष के लिए परती छोड़ दिये जाने की संवर्धनीय विधि विकसित कर ली है।

प्राकृतिक क्रिया द्वारा मृदा उर्वरता स्वतः बढ़ जाती है और उस भूमि पर पुनः कृषि कर अधिक उत्पादन किया जा सकता है।

भारत में जनाधिक्य का दबाव कृषि भूमि पर अधिक है। अतः अधिक भूमि को परती  छोड़ा जाना सम्भव नहीं है। किसानों ने अनुभव से पता लगा लिया कि मृदा के उपजाऊपन को बनाये रखने के लिए खेत पर एक ही फसल बारबार न ली जाये, बल्कि खाद्यान्न फसल के बाद उसी खेत में कोई भी फली वाली फसल उपजायी जाये जिससे मृदा के उपजाऊपन को बनाये रखा जा सकता है। 

फलियाँ वायुमण्डल से नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करती रहती हैं एवं मृदा के पोषक तत्वों को वापस कर देती हैं, विशेषकर नाइट्रोजन को। दालों व तिलहन के पौधों में यह विशेषता पायी जाती है। इसलिये उसी खेत पर खाद्यान्नों के बाद तिलहन या दाल उत्पन्न करने का क्रम चलता रहता है। 

इसे शस्यावर्तन या फसल चक्र या फसलों का आवर्तन कहते हैं, इस तरह की युक्तियाँ या तकनीकों से कृषि उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।  

Related Posts