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व्यापारिक बैंकों के दोषों को दूर करने के उपाय - vyaparik banko ke doshon ko dur karne ke upay

व्यापारिक बैंकों के दोषों को दूर करने के उपाय

भारतीय व्यापारिक बैंकों के दोषों को दूर करने हेतु निम्नांकित सुझाव दिये जा सकते हैं - 

1. बैंकों की आपसी प्रतिस्पर्द्धा पर रोक - बैंकों की आपसी प्रतियोगिता से व्यापारिक बैंकों को बहुत अधिक नुकसान हो रहा है, अतः इनकी इस प्रतिस्पद्धा को रोका जाना चाहिए।

2. सरकारी नीति सहयोगात्मक होनी चाहिए - केन्द्र एवं राज्य सरकारों को व्यापारिक बैंकों के प्रति सहयोगात्मक एवं सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। दोनों सरकारें अपनी जमा राशियाँ भी इनमें रखें। प्राय: दोनों सरकारें अपनी जमा केवल स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया में ही रखती हैं। इस नीति को सुधार कर सरकारों को इन बैंकों को भी वित्तीय सहयोग देना चाहिए।

3. बैंकों का एकीकरण - देश की बैंकिंग व्यवस्था के समुचित विकास के लिए सभी प्रकार के बैंकों में एकीकरण की नीति अपनाई जानी चाहिए। इससे देश की बैंकिंग व्यवस्था सुदृढ़ होगी, क्योंकि छोटे-छोटे बैंक आर्थिक, प्रशासनिक एवं प्रतिस्पर्द्धा के संकट से बच जायेंगे।

4. प्रशिक्षित एवं कुशल कर्मचारियों की नियुक्ति – बैंक वर्तमान गलतियों एवं कमियों को दूर करने के लिए कुशलता को प्रोत्साहित करने के लिए बैंकों में प्रशिक्षित एवं कुशल अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए। 

5. बैंकिंग प्रणाली में सुधार - बैंकों को अपनी कार्य प्रणाली में समुचित सुधार करना चाहिए। उन्हें हिन्दी में अपनी सभी क्रियाओं को सम्पन्न करना चाहिए। कर्मचारियों का लोगों के प्रति सम्मानजनक एवं सहयोगात्मक व्यवहार होना चाहिए।

6. अनुसूचित, असूचित एवं निजी क्षेत्र के बैंकों में सहयोग - यह बैंकिंग व्यवस्था का सबसे खराब पहलू है कि असूचित, अनुसूचित एवं निजी बैंकों में सहयोग का अभाव है जिससे मुद्रा बाजार में ब्याज की दरों में काफी भिन्नता है। इस समस्या को हल करने के लिए सभी प्रकार के बैंकों में सहयोग होना चाहिए।

7. बैंकिंग क्रियाओं का कम्प्यूटरीकरण एवं यन्त्रीकरण - भारत का बैंकिंग क्षेत्र विदेशों की तुलना में कम्प्यूटरीकरण एवं यंत्रीकरण की दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है। यद्यपि कुछ बैंकों में कम्प्यूटरीकरण एवं अन्य यंत्रों का प्रयोग होने लगा है, लेकिन वह अपर्याप्त है, अतः इस क्षेत्र में विशेष प्रयास किये जाने चाहिए।

8. नई शाखाओं की स्थापना को प्रोत्साहन - रिजर्व बैंक को चाहिए कि वह व्यापारिक बैंकों को छोटे-छोटे नगरों एवं कस्बों में अपनी शाखाओं की स्थापना करने की अनुमति दे। इससे इन बैंकों की जमा बढ़ेगी, लोगों में बैंकिंग व्यवहार बढ़ेगा और इससे बैंकों का विकास होगा।

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