बारिश क्यों होती है?

बारिश जल चक्र का एक हिस्सा है। पानी तरल, वाष्प और गैस में निरंतर परिवर्तित होता रहता हैं। सूर्य के प्रकाश से महासागरों, झीलों, नदियों और अन्य जल निकायों का पानी गर्म होकर वाष्प में बदल जाते है तथा ऊपर उठने लगते है। 

जल वाष्प को अधिक ऊंचाई पर ठंडे तापमान का सामना करना पड़ता है। जल वाष्प हवा में कणों के चारों ओर छोटी पानी की बूंदों या बर्फ के क्रिस्टल में संघनित हो जाता है, जिससे बादल बनते हैं।

बादल हवा में लटकी लाखों छोटी पानी की बूंदों से बने होते हैं। जब बादल में पानी की बूंदें मिलकर काफी बड़ी हो जाती हैं, तो वे वर्षा के रूप में जमीन पर गिरती हैं। तापमान और वायुमंडलीय स्थितियों के आधार पर पानी बारिश, बर्फ, और ओला के रूप गिरती है।

यदि सतह पर तापमान शून्य से ऊपर है, तो पानी वर्षा के रूप में गिरती है। वर्षा की बूंदें तब बनती हैं जब छोटी बूंदें टकराती हैं और बादल में विलीन हो जाती हैं। अंततः हवा के प्रतिरोध को पार करने और जमीन पर गिरने के लिए पर्याप्त भारी हो जाती हैं।

जल चक्र एक सतत और गतिशील प्रक्रिया है। जो पृथ्वी पर जल स्रोतों की भरपाई करती है। यह पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने, कृषि कार्य करने और जल संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विभिन्न क्षेत्रों में उनकी भौगोलिक स्थिति, जलवायु और अन्य वायुमंडलीय स्थितियों के आधार पर अलग-अलग मात्रा और प्रकार की वर्षा होती है।

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