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महादेवी वर्मा का जन्म कब हुआ था

महादेवी वर्मा का जन्म 1907 उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद में हुआ था। महादेवी वर्मा लेखक, कार्यकर्ता और छायावाद आंदोलन के प्रमुख कवि थी। महादेवी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की हैं। हिंदी साहित्य के छायावाद कविता में इनकी कृति उल्लेखनीय हैं। उनकी कुछ प्रमुख कविता - निहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1934), और संध्या गीत (1936) शामिल हैं।

महादेवी वर्मा को हिंदी साहित्य में  चार प्रमुख स्तंभों में से एक माना जाता है। उन्हें आधुनिक मीरा के रूप में भी संबोधित किया गया है। कवि निराला ने एक बार उन्हें "हिंदी साहित्य के विशाल मंदिर में सरस्वती" कहा था।  वर्मा ने आजादी से पहले और बाद में भारत दोनों को देखा था। वह उन कवियों में से एक थीं, जिन्होंने भारत के व्यापक समाज के लिए काम किया। 

 न केवल उनकी कविता बल्कि उनके सामाजिक उत्थान के काम और महिलाओं के बीच कल्याण के विकास को भी उनके लेखन में गहराई से दर्शाया गया है। ये काफी हद तक न केवल पाठकों बल्कि आलोचकों को भी प्रभावित करते हैं, खासकर उनके उपन्यास दीपशिखा के माध्यम से।

उन्होंने खड़ी बोली की हिंदी कविता में एक नरम शब्दावली विकसित की, जो उनके पहले केवल ब्रजभाषा में ही संभव मानी जाती थी। इसके लिए, उन्होंने संस्कृत और बंगला के नरम शब्दों को चुना और हिंदी के लिए अनुकूलित किया। वह संगीत की अच्छी जानकार थीं। उनके गीतों की सुंदरता उस स्वर में निहित है जो तीक्ष्ण भावों की व्यंजना शैली को दर्शाता है।

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत शिक्षण से की। वह प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य थीं। वह शादीशुदा थी, लेकिन उसने एक तपस्वी जीवन जीना चुना।

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