शहर और गांव की जानकार

वास्तव में ग्रामीण बस्तियाँ तथा नगरीय बस्तियाँ एक-दूसरे की पूरक होती हैं। ग्रामीण बस्तियों से नगरीय बस्तियों को अनेक प्रकार की कृषि उपजें, उद्योगों के लिए कच्चा माल, दुग्ध पदार्थ, लकड़ी आदि पहुँचायी जाती है, तो नगरों से निर्मित माल ग्रामीण- बस्तियों को पहुँचाया जाता है। 

गाँवों से निकटवर्ती नगरों को श्रम की भी पूर्ति होती है। गाँवों में व्यापार नगण्य होता है। किसी-किसी गाँव में तो एक या दो दुकानों और कुछ बाजार आदि के अतिरिक्त कोई सुविधाएँ नहीं होती हैं। वर्तमान में गाँवों में विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध करायी जा रही हैं।

शहर और गांव की निर्भरता

किसी देश के विकास में ग्रामीण एवं नगरीय दोनों क्षेत्रों का योगदान महत्त्वपूर्ण होता है। कुछ देशों में ग्रामीण जनसंख्या अधिक है, तो विकसित देशों में 90% तक जनसंख्या नगरों में निवास करती है। ऐसे नगरीय प्रधान देश यूरोप महाद्वीप के उत्तरी-पश्चिमी भाग, संयुक्त राज्य अमरीका और आस्ट्रेलिया में हैं। 

यूरोप के कुछ अति विकसित देशों में केवल 5% जनसंख्या ही ग्रामीण क्षेत्र में रहकर कृषि कार्य करती है। विकासशील देशों में ग्रामीण जनसंख्या अधिक है तथा नगरीय जनसंख्या कम। ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्रों में अन्तर्सम्बन्ध पाया जाता है।

ग्रामीण क्षेत्र अपनी विभिन्न आवश्यकताओं, जैसे- निर्मित वस्तुएँ, मशीनें, उपकरण, परिवहन इत्यादि के लिए नगरों पर आश्रित होते हैं, वहीं नगर विभिन्न प्रकार के कच्चे पदार्थों जैसे- लकड़ी, खनिज, वनोपज, दूध इत्यादि के लिए ग्रामों पर आश्रित होते हैं, यही नगरों व ग्रामों के बीच पारस्परिक निर्भरता है। 

नगरों और ग्रामों का पारस्परिक संबंध निम्न रूप से परिलक्षित होता है -

  1. ग्रामीण क्षेत्र से नगरों को भोज्य पदार्थ उपलब्ध होते हैं।
  2. नगरों को ग्रामीण क्षेत्र से कच्चा माल प्राप्त होता है।
  3. नगरों को ईंधन की प्राप्ति होती है।
  4. गाँवों से नगरों को श्रम शक्ति मिलती है।

नगरों से ग्रामीण क्षेत्रों को निम्नांकित वस्तुएँ तथा सेवाएँ उपलब्ध होती हैं

  1. निर्मित माल कृषि यन्त्र, वस्त्र, बीज उपलब्ध होते हैं।
  2. चिकित्सा, कानूनी, शैक्षणिक आदि अनेक सेवाएँ प्राप्त होता है।
  3. प्रशासनिक सेवाएँ प्राप्त होता है।
  4. परिवहन सेवाएँ प्राप्त होता है।
  5. कला, मनोरंजन एवं संचार सेवाएँ प्राप्त होता है।
  6. वित्तीय सेवाएँ, जैसे- बैंकिंग सेवा प्राप्त होता है। 
  7. मशीनों आदि की मरम्मत सम्बन्धी सेवाएँ प्राप्त होता है।

उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट हो जाता है कि नगर किसी क्षेत्र के आर्थिक तन्त्र के ही एक भाग होते हैं तथा नगर एवं ग्राम अपने विभिन्न कार्यों तथा आवश्यकताओं के लिए परस्पर निर्भर होते हैं।

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