पिग्मी कहा के निवासी है?

पिग्मी एक आदिवासी जनजाति समूह हैं। जो अफ्रीका महाद्वीप में कांगो नदी के किनारे पाए करते हैं। यह क्षेत्र भूमध्यरेखीय जलवायु के अन्तर्गत आता है। यहाँ वर्ष भर ऊँचा तापमान रहता है। यहाँ की औसत वार्षिक वर्षा 150 सेमी से 250 सेमी तक रहता है।

पिग्मी कहा के निवासी है - अफ्रीका महाद्वीप

अधिक तापमान तथा वर्षा के कारण यहाँ लम्बे तथा सीधे वृक्षों का जंगल पाया जाता हैं। ये वन इतने सघन होते हैं कि सूर्य का प्रकाश भी धरती तक नहीं पहुँच पाता है। इन वनों को 'वर्षा वन' कहते हैं। इन वनों में वृक्षों के तने मोटे होते हैं तथा लकड़ी कठोर होते है।

पिग्मी - उच्च तापमान के कारण पिग्मी कमजोर होते हैं। इनका कद 1.5 मीटर तक होता है। इनका रंग काला और बाल कालेे व घुँघराले हैं। गर्मी एवं उमस के कारण ये लोग आलसी होते हैं ।

भोजन - पिग्मी लोगों की आवश्यकताएँ न्यूनतम होती हैं। इनका भोजन कन्द-मूल, फल, मछलियाँ तथा पशुओं और पक्षियों का मांस होता है।

वस्त्र - अधिक गर्म और नम जलवायु होने के कारण ये लोग बहुत कम वस्त्रों का उपयोग करते हैं। पुरुष लंगोट बाँधते हैं तथा स्त्रियाँ कमर के चारों ओर पेड़ों की पत्तियाँ बाँधते थे। लेकिन अब वस्त्रों का प्रयोग करने लगे हैं।

पिग्मी कहा के निवासी है

आवास - पिग्मी प्रवासी होते हैं। किसी एक स्थान पर तब तक निवास करते हैं, जब तक वहाँ भोजन उपलब्ध होती रहती है। उसकेे बाद भोजन की तलाश में अन्य स्थानों पर चले जाते हैं। इनके निवास स्थानोंं में विषैले जीव जंतु व हिंसक पशुओं का भय हमेशा बना रहता है।

जिसके कारण पिग्मी अपना घर पेड़ की डालियों पर ही बना लेते हैं। ये घर पेड़ों की पत्तियों से बनी चटाइयों से बनाये जाते हैं। वर्षा की अधिकता के कारण इनकी छतें ढालू बनायी जाती हैं। घर का फर्श लकड़ी के तख्तों से बने होते है। घरों के अंंदर जाने के लिए सीढ़ियों का उपयोग किया जाता है।

व्यवसाय - अधिकांश पिग्मी लोगों का व्यवसाय कन्द-मूल, फल एकत्रित करना तथा शिकार करना है। शिकार करने में ये बड़े निपुण होते हैं। ये लोग हाथी से लेकर दीमक तक का शिकार करते हैं। इनके शिकार करने का प्रमुख औजार तीर-कमान है। ये लोग हाथी को अपने तीरों से अन्धा करके उसे गड्ढे में गिरा कर मार डालते हैं ।

अब पिग्मी विदेशी लोग के सम्पर्क में आने के कारण धीरे-धीरे सभ्य होने लगे हैं। इनमें शिक्षा का प्रसार भी बढ़ रहा है। ये लोग वस्त्रों का उपयोग भी करने लगे हैं। इनमें से कुछ तो उत्तम घरों में रहने लगे हैं। इनके प्रमुख व्यवसाय रतालू तथा केले व मक्के की कृषि करना, नारियल जटा से रस्सी बनाना और हाथी दाँत एकत्रि करना है। 

जायरे बेसिन में परिवहन साधनों का विकास नहीं हुआ है। यहाँ नदियाँ ही परिवहन का प्रमुख साधन हैं। अतः पिग्मी लोगों काबहरी दुनिया से सम्पर्क लगभग नहीं के बराबर है, जिसका कारण यहाँ के लोग अत्यन्त पिछड़े और आधुनिक तकनीक से अनजान हैं। यहाँ का पर्यावरण अत्यन्त कठोर है।

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