छत्तीसगढ़ में मिलने वाले प्रमुख खनिज पदार्थों का वर्णन कीजिए

खनिज प्राकृतिक रासायनिक यौगिक तत्व है, जो प्रमुखतया अजैव प्रक्रियाओं से बना होता है। इसे धरातल को खोदकर प्राप्त किया जाता है। खनिज जिस स्थान से निकाला जाता है उसे खान कहते हैं। खनिज पदार्थ विभिन्न कच्ची धातुओं के साथ मिलते हैं जिन्हें अयस्क कहते हैं।

छत्तीसगढ़ में मिलने वाले प्रमुख खनिज पदार्थों का वर्णन कीजिए

छत्तीसगढ़ खनिज संसाधनों में संपन्न राज्य है। खनिज की उपलब्धता की दृष्टि से इसका भारत में दूसरा स्थान है। यहाँ लगभग 32 प्रकार के खनिज मिलते हैं।

  1. कोयला
  2. चूना पत्थर
  3. लौह अयस्क
  4. बाक्साइट
  5. डोलोमाइट
  6. मैंगनीज
  7. क्वार्टजाइट
  8. फायरक्ले
  9. कोरण्डम
  10. हीरा
  11. गेरू
  12. केओलिन
  13. टिन
  14. संगमरमर
  15. क्लोराइट 

देश के कुल खनिज भंडार का लगभग 13% लौह अयस्क 17% बॉक्साइट, 5% डोलोमाइट, 4% चूना पत्थर, छत्तीसगढ़ में हैं, कच्चे टिन का उत्पादन करने वाला यह देश का एकमात्र राज्य है। 

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कोयला

कुल कोयले के भंडारण की दृष्टि से झारखण्ड के बाद छत्तीसगढ़ का देश में दूसरा स्थान है। यहाँ कोयल का भंडार 2,95,600 लाख टन है जो कि देश के कुल भंडार का लगभग 14-45% है। प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र सरगुजा, कोरबा, जशपुर, रायगढ़, बिलासपुर एवं कोरिया जिला है। इनमें कोयले की पट्टियाँ फैली हैं। 

सरगुजा - यहाँ कोयले का सर्वाधिक भंडार है। यहाँ उत्तम श्रेणी के कोयले का भंडार है। सोनहट, झिलमिली, रामकोला - तातापानी, झगराखण्ड, बिसरामपुर प्रमुख कोयला क्षेत्र है। इनमें 36580-3 लाख टन कोयले का भंडार है।

कोरिया - यहाँ 12154.1 लाख टन कोयले का भंडार है। यहाँ की कोयला पट्टी में सोहागपुर, झिरमिरी व कोरेगढ़ है। कुरासिया - झिरमिरी कोयला क्षेत्र लगभग 130 कि.मी. क्षेत्र में फैला है। यहाँ तीन परतें पायी जाती है जो नीचे से ऊपर क्रमशः 7.5 तथा 1.5 मीटर मोटी है। 

यहाँ उत्तम कोटि का कोयला उपलब्ध है। यहाँ उत्खनन सन् 1836 से हो रहा है। सन् 1962 में कोल डेवलपमेंट कार्पोरेशन स्थापित किया गया है।

जशपुर - यहाँ कोयले का भंडार सबसे कम मात्र 8 लाख टन है। पेण्ट्रापारा एवं सामरीपाट यहाँ के प्रमुख कोयला क्षेत्र हैं।दक्षिणी क्षेत्र की कोयला पट्टी-इसके अन्तर्गत कोरबा, रायगढ़ एवं बिलासपुर जिले के कोयला क्षेत्र आते हैं।

कोरबा जिला- यहाँ उत्तम कोटि के कोयले का निक्षेप है। कोयला का अनुमानित भंडार लगभग 151432-9 लाख टन है, जो कि 625 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला है। यहाँ की तीन परतें क्रमश: 36.60 मीटर, 21-2 मीटर एवं 19.8 मीटर मोटी हैं। यहाँ का कोयला भिलाई इस्पात संयंत्र एवं कोरबा तापीय विद्युत् केन्द्र को भेजा जाता है।

लौह अयस्क

लौह अयस्क आधुनिक औद्योगिक संरचना की रीढ़ है। वर्तमान में घर में प्रयुक्त होने वाली छोटी सुई से लेकर बड़ी-बड़ी मशीनें, कल पुर्जे लोहे से ही बनाया जाता है।

छत्तीसगढ़ में उच्च श्रेणी के लौह अयस्क का विशाल भंडार है। यहाँ लौह अयस्क का 23360 लाख टन संचित भंडार है। यहाँ दंतेवाड़ा, बस्तर, कांकेर, राजनांदगाँव एवं दुर्ग जिले से लौह अयस्क निकाला जाता है।

दन्तेवाड़ा जिला - दंतेवाड़ा जिले की बैलाडीला की पहाड़ी के लोहे भंडार विश्व के सर्वश्रेष्ठ लौह अयस्क भंडारों में से एक है। यहाँ मुख्यतः हेमेटाइट किस्म का अयस्क मिलता है। यह पहाड़ी लगभग 36 कि.मी. लम्बा एवं 10 कि. मी. चौड़ी हैं। इस क्षेत्र में 14 निक्षेपण हैं तथा समीप ही मालेंगर नदी-घाटी में दो अन्य निक्षेपण है। 

यहाँ लगभग 61 मीटर की गहराई तक लौह अयस्क मिलने की संभावना है। अनुमानित भंडार लगभग 70 करोड़ टन है। यहाँ लौह अयस्क खनन का कार्य राष्ट्रीय खनिज विकास निगम के द्वारा किया जा रहा है। यहाँ का अयस्क विशाखापट्नम बंदरगाह द्वारा जापान भेज दिया जाता है एवं कुछ अयस्क का उपयोग विशाखापट्नम संयंत्र में किया जाता है।

बस्तर जिला – यहाँ प्रमुख लौह अयस्क खान रावघाट एवं छोटा डोंगर में है। रावघाट में लौह निक्षेपण छः क्षेत्र हैं। यहाँ के अयस्क में शुद्ध लोहांश का भाग 60 से 68% तक है।

राजनांदगाँव जिला - यहाँ बोरिया टिब्बू में 50 लाख टन लौह-अयस्क का अनुमानित भंडार है। दुर्ग जिला - यहाँ दल्ली राजहरा में उत्तम किस्म का लौह अयस्क निकाला जाता है। इसका उपयोग भिलाई इस्पात संयंत्र में किया जाता है। 

यहाँ लौह अयस्क का जमाव राजहरा, यांत्रिक खदानें, राजहरा पश्चिम, महामाया क्षेत्र में है । दल्ली पहाड़ एव । इसमें शुद्ध लोहांश की मात्रा 60-65% तक होती है। इसके अतिरिक्त बिलासपुर जिले के भाजीडोंगर, मुलमुला, सेमरा, क्रोलियाटोला में भी लौह अयस्क के निक्षेप पाए गए हैं।

बॉक्साइट

बाक्साइट एल्युमीनियम का खनिज अयस्क है। बाक्साइट उत्पादन की दृष्टि से छत्तीसगढ़ का देश में पाँचवाँ स्थान है। देश के बाक्साइट भंडार का 6-44% भाग छत्तीसगढ़ में है। यहाँ मुख्यतः पठारी क्षेत्र में बाक्साइट का निक्षेप मिलता है। बाक्साइट का मुख्य भंडार सरगुजा, बिलासपुर, जशपुर, कोरबा, कवर्धा, कांकेर, बस्तर में है।

कोरबा जिले के फुटका पहाड़, पवन खेड़ा पहाड़, काम्सेल पहाड़, कवर्धा जिला में कवर्धा एवं पण्डरिया तहसील, कांकेर का अंतागढ़ तहसील, सरगुजा का मैनपाट, जमीरपाट एवं वरीमा क्षेत्र, जशपुर नगर के चारों ओर की श्रेणियों तथा कन्हार नदी के पश्चिमी पठारी क्षेत्र पेंडरापाट, तैनपाट, मुरही, पनियागढ़ पहाड़ी, क्लौश एवं चूना पानी पहाड़ी, दमपार व डेरहापार आदि) कांकेर बस्तर के केशकाल एवं आसना, तारापुर आदि में उच्च श्रेणी के बाक्साइट के भंडार मिले हैं। छत्तीसगढ़ में 960 लाख टन बाक्साइट का भंडार है।

 कोरण्डम

कोरण्डम कठोरता में हीरा के बाद दूसरा महत्वपूर्ण खनिज है। यह एल्युमिनियम का एक आक्साइड है इसका प्रयोग पॉलिश करने चिकना करने एवं पत्थरों को काटने के काम आता है। साथ ही इसे आभूषणों में रत्न की तरह जड़ा भी जाता है। पारदर्शक एक लुभावने रंग के कोरण्डम रत्नों के रूप में एवं अन्य चूर्ण के रूप में प्रयुक्त होता है।

छत्तीसगढ़ में दन्तेवाड़ा जिले की भोपालपट्टनम तहसील के घनगोल तथा कुचनूर में सुकमा तहसील के सोनाकूकानार तथा बीजापुर के सेन्द्रा, उसूर एवं चेरापल्ली में कोरण्डम मिलता है। रायपुर के देवभोग एवं मैनपुर क्षेत्र में कोरण्डम के भंडार मिले हैं। राज्य में कोरण्डम के 50 टन सुरक्षित भंडार हैं।

हीरा

हीरा विभिन्न रंगों में एवं रंगहीन अष्टफलकीय बहुमूल्य रत्न है। रंगविहीन हीरा सर्वोत्तम होता है। इसकी चमक अद्भुत होती है। हीरा रत्न के रूप में आभूषणों में उपयोग होता है । इसके अतिरिक्त कठोर वस्तुओं को काटने खुरचने, एवं औषधि के भस्म बनाने में प्रयुक्त होता है।

रायपुर जिले के दक्षिण पूर्वी भाग में मैनपुर एवं देवभोग में हीरे का भंडार है। सन् 1993-94 में यहाँ किंबरलाइट चट्टानों की खोज की गई। यहाँ चार पाइप लाइन क्रमशः बेहराडीह, पायली खण्ड, जांगड़ा व कोदोमाली में मिले हैं। जहाँ हीरे की उपस्थिति ज्ञात हुई है।

चूना पत्थर

 चूना पत्थर की दृष्टि से छत्तीसगढ़ धनी है यहाँ उत्तम किस्म के चूने का विशाल भंडार है। प्रमुख निक्षेप निम्नानुसार हैं

  • रायपुर - माँढर, सिलियारी, तिल्दा, सोनाडीह, बहेसर, हिरना, झीपन, चकी, मोहरा, पौसरी आदि।
  • दुर्ग - जामुल, नन्दिनी, खुन्दिनी, सेमरिया, अछौली आदि ।
  • राजनांदगांव - चारभाटा एवं भाटाग्राम
  • कवर्धा – रनजीतपुरा तथा रनबीरपुरा ।
  • बस्तर – पोतनगर, रायकोट, देवरा, पाल, मांझी, डोंगरी तथा जूनागढ़ ।
  • बिलासपुर - चिल्हाटी, तेन्दुआ ।
  • जांजगीर-चांपा अकलतरा, चिल्हाटी, मसनिया।
  • रायगढ़ – खरसिया एवं सारंगढ़। छत्तीसगढ़ में सभी श्रेणी के चूना पत्थर के 8,225 मिलियन टन भंडार है।

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