विज्ञापन लेखन क्या है vigyapan lekhan kya hai -

विज्ञापन का अर्थ एवं परिभाषा - विज्ञापन का अर्थ अलग-अलग सन्दर्भों में अलग-अलग व्यक्त किया जाता है। इस संबंध में लोगों के विचार भी अलग-अलग हैं। कुछ इसे मात्र प्रचार का साधन मानते हैं, तो कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं के विकास का विनियोजन मानते हैं। किसी विद्वान ने विज्ञापन को परिभाषित करते हुए लिखा है

 विज्ञापन लेखन से क्या आशय है ? सविस्तार समझाइये।

विज्ञापन शब्द के अन्तर्गत किसी प्रकार का वह कार्य शामिल है, जिसमें विक्रय योग्य वस्तुओं एवं सेवाओं के विक्रय का विकास होता है।उपर्युक्त परिभाषा से यह स्पष्ट होता है कि विज्ञापन वस्तुओं अथवा सेवाओं की बिक्री का महत्वपूर्ण साधन है।

विज्ञापन के कार्य 

इसका प्रमुख कार्य यद्यपि सूचना देना है, पर सूचना देने में भी एक प्रकार की प्रेरणा होती है। अर्थात् पाठक जो एक उपभोक्ता भी है, के मन में एक ऐसी भावना या विचार उत्पन्न किया जाये, जिससे वह विज्ञापित वस्तु या सेवा को खरीदने के लिए प्रेरित हो । विज्ञापन वस्तुओं या सेवाओं के विभिन्न गुणों का जिक्र भी करता है। इस प्रकार विज्ञापन का प्रमुख कार्य सूचना देना और लोगों के ज्ञान में वृद्धि करना है।

विज्ञापन का विकास 

सन् 1920 में जब हमारे देश में औद्योगिक युग की शुरुआत हुई, तो भारतीय विज्ञापनों में तेजी आयी। स्वतंत्रता के पश्चात् इस दिशा में और ज्यादा तेजी आयी और विज्ञापन का विकास तीव्र गति से हुआ। आज विज्ञापन भारत के औद्योगिक और व्यापारिक जीवन की एक महत्वपूर्ण और सुसंगठित शाखा के रूप में विकसित हो चुका है। 

आज समाचार पत्रों में विज्ञापनों की धूम है। समाचार पत्रों को भी विज्ञापनों से काफी आय होती है। सन् 1953 में प्रेस कमीशन ने अनुमानित आकलन में यह बताया था कि विज्ञापन एजेंसियों द्वारा प्रेस में सात करोड़ रुपया खर्च किया गया था।

जबकि सन् 1958 में बढ़कर यह लागत 15 करोड़ हो गई। वर्तमान में भारतीय उद्योग एवं व्यापार के औद्योगिक एवं कृषि उत्पादन में आई तेजी के साथ उत्पादों की बिक्री एवं प्रचार हेतु विज्ञापन में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

वर्तमान में समाचार-पत्रों में विज्ञापन अन्य साधनों की तुलना में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यद्यपि विज्ञापनों के अन्य साधन जैसे- बाह्य प्रचार, फिल्म, प्रत्यक्ष डाक तथा पाम्पलेट, पोस्टर, प्रदर्शनी आदि के द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं के विक्रय की कोशिश की जाती है, किन्तु इन सभी साधनों से ज्यादा प्रभावशाली समाचार पत्रों का विज्ञापन माना जाता है।

समाचार विज्ञापन के क्षेत्र या विषय वस्तु 

विज्ञापन का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। आज विज्ञापन में मनुष्य की रोजमर्रा की वस्तुओं से लेकर आर्थिक, राजनीतिक एवं कानूनी आदि बातों की जानकारी रहती है । आज विज्ञापन के अनेक साधनों एवं समाचार-पत्रों में इतनी अधिक वस्तुओं एवं सेवाओं के विज्ञापन छपते हैं कि उनकी एक पूर्ण सूची बना पाना असंभव है। नई-नई खोजों एवं आविष्कारों के कारण विज्ञापनों की विविधता में नितप्रति बढ़ोतरी हो रही है। 

समाचार पत्रों में विज्ञापित वस्तुओं एवं सेवाओं को कुछ विशेष वर्गों में विभाजित किया जा सकता है -

(1) वस्त्र – वस्त्रों एवं तैयार कपड़ों का विज्ञापन बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। इसमें सूती और ऊनी वस्त्र, कृत्रिम वस्त्र, बुने हुए कपड़े, तैयार ड्रेसें, मोजे और टाइयाँ शामिल हैं। इस तरह के विज्ञापन सचित्र प्रकाशित होते हैं ।

(2) सौन्दर्य प्रसाधन-यद्यपि इस वर्ग के अन्तर्गत सैकड़ों प्रकार की वस्तुओं का विज्ञापन होता है तथापि यहाँ कुछ वस्तुओं का उल्लेख प्रस्तुत है, जैसे- टूथपेस्ट, कोलीनास, फेस क्रीम, पाउडर, विभिन्न प्रकार के केश-तेल आदि ।

(3) डिब्बों में बंद खाद्य एवं पेय- चाय और काफी के बहुत विज्ञापन देखे जा सकते हैं। विशेष रूप से ब्रुक बाण्ड चाय, लिपटन चाय, नेस्केफे, बोन काफी आदि के विज्ञापन किसी-न-किसी समाचार पत्रों में देखे जा सकते हैं। ओवल्टीन, बोर्नवीटा जैसे पौष्टिक पेय भी विज्ञापित होते हैं। 

डिब्बों में बन्द भोजन के भी विज्ञापन दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। इसी प्रकार अमूल मक्खन, गोल्ड स्पॉट, कोक़ाकोला, पार्ले बिस्कुट आदि कुछ इस तरह के अन्य पदार्थ हैं।

(4) दवाइयाँ - बड़ी-बड़ी दवा कम्पनियाँ भी अपनी-अपनी दवाइयों का विज्ञापन करवाती हैं। ग्राइपवाटर, अमृतांजन, झंडू बाम, एस्प्रो, सेरीडॉन आदि । वजन घटाने एवं बढ़ाने की दवाइयों का भी विज्ञापन समाचार पत्रों में देखा जा सकता है।

(5) बैंकिंग और बीमा - जीवन बीमा निगम, स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया जैसे सार्वजनिक संस्थानों के अलावा अन्य बैंक भी विज्ञापन देते हैं। जीवन बीमा निगम एवं स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया के विज्ञापन काफी आकर्षक एवं प्रभावशाली होते हैं, जो ग्राहकों या उपभोक्ताओं को आसानी से अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

(6) घरेलू और ऑफिस फर्नीचर तथा सामग्री - जीवन स्तर में क्रमशः वृद्धि के साथ इन वस्तुओं की माँग में वृद्धि होती जा रही है । इस तरह के विज्ञापन काफी रोचक और सुन्दर होते हैं। जैसे- डनलप के पिलो एवं गद्दे, वाटर कूलर, रेफ्रिजरेटर आदि के विज्ञापन दिखाई देते हैं ।

(7) मोटर गाड़ियाँ तथा उपयोगी सामग्री - यातायात के विकास के साथ-साथ इस क्षेत्र के विज्ञापन में भी तीव्र गति आयी है। इनमें अशोक लेलैण्ड, टाटा सुमो, मारुति, हीरोहोण्डा, स्कूटर आदि आते हैं। 

(8) विमान यातायात - इस क्षेत्र के विज्ञापन में एयर इण्डिया, इण्डियन एयर लाइंस, ट्रांस वर्ल्ड एयर लाइंस, बी. ओ. ए. सी. आदि के विज्ञापन होते हैं।

(9) संस्थागत विज्ञापन - औद्योगिक उत्पादनों एवं इंजीनियरिंग उत्पादों के अन्तर्गत सैकड़ों प्रकार की वस्तुएँ आती हैं। जिनके विज्ञापन काफी रोचक एवं मजेदार होते हैं, जैसे- मोदी सीमेंट, क्रॉम्पटन ग्रीव्हस, सेण्डोज, यूनियन कार्बाइड, आयरन एण्ड स्टील कम्पनी आदि। ये विज्ञापन सादे तथा रंगीन होते हैं।

उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि वर्तमान समय में समाचार विज्ञापन अत्यंत लोकप्रिय बन गया है। आज मानव जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं के विज्ञापन देखे जा सकते हैं । 

विज्ञापन से उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों को ही वस्तुओं के क्रय-विक्रय में सुविधा होती है। इस तरह समाचार पत्र में विज्ञापन या विज्ञापन लेखन हमारी बहुत सहायता करता है ।

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