कांस्य युगीन सभ्यता किसे कहते हैं - Bronze Age Civilization

 कांस्य युगीन सभ्यता किसे कहते हैं

पिछले हजारों वर्षो के संचित ज्ञान कौशल तथा अनेक नए आविष्कारों के कारण 4000 ई.पू. के लगभग मानव ने प्रगति के नए चरण में प्रवेश किया। इसकी विशेषता थी नगरों का उदय। नगरों के उदय के साथ ही जीवन के हर पहलू में कई दूरगामी परिवर्तन हुए जिनके कारण इसे मानव इतिहास में शहरी क्रांति का नाम दिया गया। 

धातुओं का प्रयोग - धातुओं की खोज और प्रयोग का मानव जाति के इतिहास में काफी महत्व है। धातुओं से मनुष्य को एक ऐसी सामग्री मिल गई जो पत्थर से अधिक टिकाऊ थी और जिसका प्रयोग विविध प्रकार के औजारों, उपकरणों और हथियारों को बनाने के लिए किया जा सकता था और इस प्रकार बढ़ती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती थी। 

सर्वप्रथम जिस धातु को ढूँढ निकाला गया और जिसका उपयोग औजार बनाने के लिए किया गया वह ताँबा थी। काफी समय तक संसार के कुछ भागों में ताँबों के औजार का उपयोग पत्थरों के औजारों के साथ-साथ होता रहा। जिस काल में मनुष्य ने पत्थर तथा ताँबे के औजारों को साथ-साथ उपयोग किया उसे ताम्रपाषाणिक काल कहते हैं।

मनुष्य केवल प्राकृतिक ताँबे का उपयोग करता था जिसे नदियों के तटों से जमा किया जाता था। विश्वास है कि सबसे पहले ताँबे का उपयोग लगभग 5000 ई.पू. में हुआ। बाद में मनुष्य ने खानों से ताँबा निकालना सीखा। ऐसे ताँबे का उपयोग 4500 ई.पू. में दक्षिण इराक के सुमेर में आरंभ हुआ। कुछ क्षेत्रों में जहाँ पूर्व सभ्यताओं का विकास हुआ ताँबा वहीं था। उन क्षेत्रों के लोगों को दूर - देशों में ताँबा लाने के लिए जाना पड़ता था। 

इसके परिणामस्वरूप व्यापार का विकास शुरु हुआ जिससे विभिन्न देशों के लोग निकट आए। लोगों ने ताँबे के साथ टीन व जस्ते को मिलाकर काँसा नामक मिश्र धातु बनाना प्रारंभ कर दिया। काँसा ताँबे से अधिक उपयोगी साबित हुआ। वह ताँबे से अधिक सख्त होता है इसलिए मजबूत औजारों, हथियारों तथा उपकरणों को बनाने के लिए अधिक उपयोगी होता है। 

काँसे के औजारों और हथोड़ों के उपयोग से बढ़ईगिरी की उन्नति में सहायता मिलती परिणाम स्वरूप पहिए का अविष्कार हुआ। पूर्व सभ्यताओं के विकास में काँसे का महत्व के कारण पूर्व सभ्यताओं के काल को काँस्य युग कहा जाता है। इन सभ्यताओं को काँस्य युगीन सभ्यता कहते हैं। धातुओं के उपयोग से मनुष्य अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विविध प्रकार के औजारों को गढ़ने में समर्थ हो सका। 

धातु के औजारों से शिल्पकारिता की उन्नति हुई जिसके परिणामस्वरूप नए औजारों और नए शिल्पों का विकास हुआ। धीरे-धीरे धातु विज्ञान खानों, अयस्क निकालने और औजारों को बनाने के लिए धातु तैयार करने की व्यवस्थित विधि उन्नत हुई। धातुओं के उपयोग के लिए विशेष कौशल और ज्ञान की जरूरत हुई। इसी कारण समाज में धातु कार्य में विशेषता रखने कर्मियों का उदय हुआ।

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