वस्त्र उद्योग के प्रकार

वस्त्र निर्माण उद्योग के अन्तर्गत कपास, ऊन, रेशम तथा कृत्रिम रेशों से बने वस्त्र सम्मिलित हैं। वस्त्र निर्माण प्रक्रिया में सूत या धागा कातना, बुनना तथा उसे रंगना सम्मिलित हैं। यह उद्योग अन्य सभी उद्योगों से प्राचीन है तथा सबसे अधिक विस्तृत है। मिल उद्योग के रूप में इसका सर्वप्रथम विकास 18 वीं शताब्दी में ब्रिटेन में हुआ था। 

आर्कराइट, क्रोम्पटन तथा कार्टराइट नामक कारीगरों ने पावरलूम आदि कई मशीनों का आविष्कार किया। सूती वस्त्र बनाने की इन मशीनों के कारण इंग्लैण्ड का लंकाशायर प्रदेश विश्व भर में सूती वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध हो गया। 

ब्रिटेन से यह उद्योग अन्य यूरोपीय देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान एवं भारत आदि देशों में पहुँचा। पहले यह उद्योग प्राकृतिक रेशों पर ही आधारित था किन्तु नवीन वैज्ञानिक अनुसन्धानों ने कृत्रिम रेशे का निर्माण सम्भव कर दिया जो बहुत मजबूत और टिकाऊ होता है। इससे रेयॉन, नाइलॉन, डेक्रॉन, टेटरॉन, पॉलिएस्टर आदि का निर्माण किया जा रहा है।

सूती वस्त्र उद्योग 

इस उद्योग का विकास भारत, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ, ब्रिटेन व जापान देशों में सर्वाधिक हुआ है। सूती वस्त्र उद्योग में भारत का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सूती वस्त्र के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भारत का दूसरा स्थान है। यह भारत का प्राचीनतम उद्योग है।

भारत सूती- वस्त्र निर्यात से विदेशी मुद्रा अर्जित करता है। भारत के 80 नगरों में सूती वस्त्र निर्माण मिलें हैं, किन्तु सर्वाधिक केन्द्रीयकरण मुम्बई क्षेत्र में हुआ है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  1. भारत का काली मिट्टी वाला कपास क्षेत्र निकट है। 
  2. यहाँ से कपास उपलब्ध हो जाता है तथा अच्छे किस्म के कपास के आयात की सुविधाएँ हैं।
  3. सागरीय आर्द्र जलवायु प्राप्त है ।
  4. पश्चिमी घाट से उत्पादित विद्युत् शक्ति प्राप्त है।
  5. यहाँ पूँजी सुलभ है ।
  6. मुम्बई एक प्राकृतिक बन्दरगाह है, जहाँ पर मशीनों के आयात की सुविधा है। 
  7. निर्मित माल के निर्यात की सुविधा है।

सूती वस्त्र-उद्योग के लिए अहमदाबाद दूसरा बड़ा केन्द्र हैं। इसके निम्नलिखित कारण हैं -

  1. अहमदाबाद कपास क्षेत्र के मध्य में स्थित है ।
  2. कुशल एवं अर्द्ध-कुशल श्रमिक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
  3. जल-विद्युत् सुलभ है।
  4. अहमदाबाद रेल मार्गों तथा सड़कों द्वारा देश के सभी भागों से जुड़ा है। 
  5. मुम्बई की अपेक्षा यहाँ श्रमिक तथा भूमि सस्ती है।

ऊनी वस्त्र उद्योग

ऊनी-वस्त्र उद्योग का विकास शीतोष्ण तथा शीत कटिबन्धों में अधिक हुआ है, क्योंकि इन क्षेत्रों में अधिक ठण्ड पड़ने के कारण ऊनी वस्त्रों की माँग रहती है। इस उद्योग के विकास में निम्नांकित कारक सहायक सिद्ध होते हैं

  1. ऊन की सुलभता
  2. उत्तम व आर्द्र जलवायु
  3. स्वच्छ जल की प्राप्ति
  4. सस्ती ऊर्जा
  5. सस्ता व कुशल श्रम
  6. उन्नत तकनीक
  7. बाजार की निकटता

ऊनी वस्त्र उद्योग का विकास उत्तरी गोलार्द्ध में अधिक हुआ है, जबकि कच्चे माल ऊन की प्राप्ति दक्षिणी गोलार्द्ध में अधिक होती है।

प्रमुख ऊनी वस्त्र उत्पादक देश सोवियत संघ, चीन, जापान, पोलैण्ड, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, रोमानिया तथा इसके अलावा चेकोस्लोवाकिया, दक्षिणी कोरिया और पश्चिमी जर्मनी हैं। ऊनी वस्त्र का उत्पादन अग्रांकित तालिका से स्पष्ट है।

भारत मे  ऊनी वस्त्र उद्योग कानपुर, धारीवाल, मुम्बई, बंगलौर, भिवानी, अमृतसर, ग्वालियर तथा जामनगर प्रमुख क्षेत्र हैं। विश्व की कुल उत्पादित ऊन का 2/3 भाग आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका, अर्जेण्टाइना तथा उरुग्वे से प्राप्त होता है। किन्तु इन प्रदेशों की जलवायु सम तथा जनसंख्या कम होने के कारण ऊनी-वस्त्र उद्योग का विकास नहीं हुआ है। ये देश ऊन का निर्यात ऊनी वस्त्र उत्पादक देशों को कर देते हैं।

रेशमी वस्त्र उद्योग

रेशम अत्यंत हल्का रेशा होता है, जिसे सरलता से वांछित क्षेत्र में भेजा जा सकता है। इस उद्योग में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। कच्चे रेशम का उत्पादन जापान में सर्वाधिक होता है, अतः जापान रेशमी वस्त्रों का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। अन्य रेशम उत्पादक देश संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, इटली, चीन, ब्रिटेन व भारत हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका में रेशमी वस्त्र उद्योग न्यूयार्क से 150 किमी की परिधि में केन्द्रित हैं। न्यूजर्सी राज्य में सबसे अधिक सिल्क - वस्त्र कारखाने हैं, इसलिए इसे सिल्क सिटी कहते हैं। अन्य केन्द्र पेन्सिलवेनिया और न्यूयार्क नगर हैं।

भारत में रेशम का उत्पादन पश्चिमी बंगाल, जम्मू-कश्मीर तथा कर्नाटक राज्यों में होता है। रेशमी- - वस्त्र उद्योग केन्द्र 10 हैं - कश्मीर में श्रीनगर, पंजाब में अमृतसर और जालन्धर, उत्तर प्रदेश में वाराणसी, शाहजहाँपुर और मिर्जापुर, बिहार राज्य में भागलपुर, पश्चिमी बंगाल में विष्णुपुर, महाराष्ट्र में नागपुर, शोलापुर और पूना, गुजरात में अहमदाबाद, कर्नाटक में बंगलौर तथा तमिलनाडु में सालेम और तंजौर हैं।

रासायनिक उद्योग के विकास ने प्रत्यक्ष रूप से वस्त्र उद्योग को प्रभावित किया है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास की सहायता से कृत्रिम रेशों का उत्पादन कर वस्त्रों का निर्माण किया जा रहा है। ये वस्त्र प्राकृतिक रेशों से निर्मित वस्त्रों की अपेक्षा अधिक चमकीले, सुन्दर तथा टिकाऊ होते हैं। ये वस्त्र दो प्रकार के पदार्थों से बनाये जाते हैं

1. प्राकृतिक पदार्थों से बने रेशों वाले वस्त्र, जैसे - रेयॉन। 

2. रासायनिक क्रिया द्वारा निर्मित रेशों वाले वस्त्र। ये रेशे कोयला तथा पेट्रोलियम पदार्थों से रासायनिक क्रियाओं द्वारा तैयार किये जाते हैं।

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