हिन्दी साहित्य में एकांकी एक लतीलारस विधा है, इसका आतिभाव उज्जीसवीं शताब्दी में हुआ है। जिस प्रकार प्रयास के क्षेत्र में कहाली का उदय हुआ ठीक उसी प्रकार जाटक के अन्तर्गत एकांकी नामक का उदय हुआ है। आज के व्यक्ति का जीवन परत है. जदिल और विषम परिस्थितियों में है।
अतः वह विशालकाय महाकाला, महाकाय जातक तथा वृहदाकार उपन्यास पढ़ने के लिए समय नहीं पाता है. उसे तो एक बेटी सी रतला' चाहिए. जो इसका मनोरंजन कर सके। इस इधि से एकाकी लाटा तथा कहाली आते हैं, ये दोनों ही माल के युग में लोकप्रिय हो रहे हैं।
कहाली की अपेक्षा एकाकी अधिक महत्वपूर्ण, सरस तथा मनोरम है, क्योंकि संगीत, अभिजय, चरिध-विषण और संवादों का आनन्द एक साथ मिलता है। इसमें प्रत्यक्ष आनन्द मिलता है। इसमें जो शिक्षा मिलती है, वह औंखों के समक्ष प्रत्यक्ष घटित होती हुई-सी प्रतीत होती है,।
जो भी समस्या इसमें हल की जाती है, उसका चित्र औरों के सामने प्रत्यक्ष घूम जाता है। उसकी आदाई बुराई स्पष्ट हो जाती है. अतः एकाकी आज के युग में एक महत्वपूर्ण विश्वसनीय विधा है।" जिन कारणों ने उपन्यास क्षेत्र में कहाजी अथवा गल्प को जन्म दिया है, वे ही कारण नाटक क्षेत्र में एकाकी के जन्म के लिए भी उत्तरदायी हैं।
यन्त्रयुग का मनुष्य अपने दैनिक कार्यभार में इतना तल्लीन रहता है कि अनेक अंगों और दृश्यों वाला महालाटक देखने अथवा पढ़ने के लिए उसके पास समय ही नहीं रहता। उसका अधिकाश समय दैनिक कार्य-व्यापार में व्यतीत होता है,।
अतएव यह स्वाभाविक ही था कि मनोरंजन के ऐसे साधनों को अपनाये जो अपेक्षाकृत कम समय में ही पूर्ण हो जाएँ।” निश्चय ही एकाकी इस समस्या का समस्त साधन पूर्ण रूप से करता है,
क्योंकि एकांकी एक छोटी रचना है, इसमें एक अंक होता है, इसमें कथा का फैलाव अधिक न होकर संक्षिप्त होता है। इस संक्षिप्तता के कारण इसकी तीव्र गति होती है और चरमोत्कर्ष पर जाकर वह इतनी व्यंजक होती है कि पाठक मर्माहत होकर रह जाता है।
एकाकीकार आधुनिक जीवन की अभिव्यक्ति देता है। मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और जीवन की अभिव्यक्ति को उद्देश्य मानने के कारण मनोवैज्ञानिक द्वन्द्व और पात्रों का भावनात्मक घात-प्रतिघात दिखाते हुए नाटकीय घटनाओं को चरम उत्कर्ष तक ले जाता है। यही आज के एकांकी की विशिष्ट कलात्मक सिद्धि है। ।
एकांकी के तत्व - (1) कथानक, (2) चरित्र-चित्रण, (3) कथोपकथन, (4) संकलनत्रय, (5) संघर्ष, (6) अभिनेयता, (7) प्रभाव की एकता या उद्देश्य ।