आज दुनिया में 7,100 से भी ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं। उनमें से हर एक दुनिया को एक विविध और सुंदर जगह बनाता है। अफसोस की बात है कि इनमें से कुछ भाषाएँ दूसरों की तुलना में कम बोली जाती हैं। इन्ही भाषा को समझने के लिए अनुवाद का उपयोग किया जाता हैं।
अनुवाद किसे कहते हैं
अनुवाद सामान्य रूप से एक भाषा से दूसरी भाषा में सम्प्रेषण की प्रक्रिया है। अनुवाद शब्द शाब्दिक अर्थ है किसी के कहने के उपरान्त कहना हैं। अनुवाद के लिये टीका, रूपांतर, भाषांतर, भाषांतरण आदि शब्दों का प्रयोग भी किया जाता है। भाषा में व्यक्त करना अनुवाद कहलाता है। इसमें दो भाषाओं का होना आवश्यक हैं।
एक भाषा में कथित बात को दूसरी भाषा में रूपांतरित करना अनुवाद है। अंग्रेजी में इसे ट्रांसलेशन कहा जाता है।
विश्व में अनेक भाषाएँ प्रचलित हैं। हमें एक-दूसरे के विचारों एवं भावों को समझना भी आवश्यक है। ये विभिन्न भाषाएँ इसमें बाधा उत्पन्न करती हैं। इस बाधा को दूर करने का कार्य अनुवाद द्वारा होता है।
अनुवाद के द्वारा एक भाषा बोलने वाले और जानने वाले व्यक्ति, दूसरी भाषा बोलने और जानने वालों तक अपने विचार और भावों का सहजता भेज सकता है।
अनुवाद की परिभाषा
अनुवाद के सम्बन्ध में अंग्रेजी के प्रसिद्ध भाषाविद् जे.सी. केटफर्ड ने लिखा है - अनुवाद एक भाषा की मूल पाठ - सामग्री का दूसरी भाषा में समानार्थक मूल पाठ-सामग्री का स्थानापन्न है।
मैथ्यू आर्नल्ड के अनुसार- अनुवाद ऐसा होना चाहिए कि उसका वही प्रभाव पड़े जो मूल का उसके पहले श्रोताओं पर पड़ा होगा।
यूजीन ए. नाइडा के अनुसार- अनुवाद स्रोत भाषा के संदेश का लक्ष्य भाषा में शिल्प और अभिव्यंजना की दृष्टि से निकटतम सहज समतुल्य अभिव्यक्ति है।
अनुवाद की विशेषताएं
अनुवाद के लिए निम्नांकित तीन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है
- पाठ-सामग्री
- समतुल्य
- पुनर्स्थापना
ऊपर में दी गयी परिभाषा के आधार पर अनुवाद के निम्नांकित तीन रूप प्रकट होते हैं।
1. शब्दानुवाद - इसमें मूल भाषा या स्रोत भाषा की शब्द योजना, वाक्य-विन्यास आदि को दूसरी भाषा या लक्ष्य भाषा में लगभग ज्यों-का-त्यों अनुवाद किया जाता है। इसे शाब्दिक अनुवाद की संज्ञा दी जाती है ।
2. भावानुवाद - इसके अन्तर्गत मूल भाषा या स्रोत भाषा की शब्द - योजना, वाक्य-विन्यास आदि को दृष्टि में न रखकर शब्दों एवं वाक्यों में निहित मूल भाव पर विशेष ध्यान रखा जाता है तथा अनुवाद किया जाता है।
3. रूपान्तर - अनुवाद के इस स्वरूप के अन्तर्गत अनुवादक मूलभाषा या स्रोत भाषा के समस्त क को दूसरी भाषा या लक्ष्य भाषा में अनुदित करने के लिए उसमें यथेष्ट परिवर्तन कर देता है। इसमें अनुवादक की रुचि एक प्रकार से हावी हो जाती है।