भारत और पाकिस्तान के संबंध कैसे हैं - India and Pakistan relations

15 अगस्त, 1947 को स्वाधीनता प्राप्त करने के बाद भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों में शांतिवाद, सब देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों की स्थापना, साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विरोध तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों के प्रति गहरी आस्था आदि आदर्शों पर अपनी नीति का निर्धारण किया। भारत ने विश्व राजनीति में तथा अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों के निर्धारण में गुटनिरपेक्ष नीति को सदैव महत्व दिया।

भारत और पाकिस्तान के संबंध कैसे हैं 

भारत विभाजन से 14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान का जन्म हुआ। भौगोलिक और ऐतिहासिक दृष्टि से दोनों में प्रगाढ़ संबंध होते हुए भी दोनों के संबंध संघर्ष पूर्ण रहे। श्री कैलाई के अनुसार- "पाकिस्तान की विदेश नीति पर निरन्तर केवल एक तत्व हावी रहा है वह है भारत का विरोध। 

भारत के विरूद्ध सुरक्षा पाने की इच्छा से भारत पाक संबंधों का इतिहास तनावपूर्ण एवं असहयोगी संबंधों का इतिहास है। भारत विभाजन ने अनेक प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया। जिससे भारत पाक संबंध सामान्य नहीं हो सके हैं। 

विभाजन ने भारत पाक संबंधों के मध्य अनेक आर्थिक समस्याओं को जन्म दिया। ब्रिटिश सरकार से ऋणों के भुगतान के संबंध में भी दोनों में मतभेद था । इसी प्रकार दोनों देशों में पंजाब की नदियों के जल वितरण के प्रश्न पर भी विवाद उत्पन्न हो गया। 

कश्मीर समस्या भारत पाक संबंधों के मध्य तनावपूर्ण संबंधों का प्रमुख मुद्दा है। 15 अगस्त, 1947 तक जम्मूकश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने भारत तथा पाकिस्तान दोनों में से किसी भी अधिराज्य में अधिमिलन का निश्चय नहीं किया। 

अतः महाराजा ने पाकिस्तान के साथ 14 अगस्त को यथा स्थिति अनुबंध कर लिया परंतु पाकिस्तान ने यथास्थिति अनुबंध का पालन नहीं किया। 22 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान के सैनिक नेतृत्व में कबायलियों ने कश्मीर पर आक्रमण किया तथा आगजनी व लूटपाट करते हुए निर्मम हत्याएँ की तब महाराजा कश्मीर ने भारत सरकार से सैन्य सहायता माँगी। 

भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से 559 रियासतों ने अपनी भौगालिक एवं धार्मिक सुविधानुसार अपने को भारत में शामिल किया। जम्मू कश्मीर, हैदराबाद, जूनागढ़ तीन रियासतें ऐसी रहीं जो न तो भारत और न तो पाकिस्तान में मिलने को तैयार हुई। जूनागढ़ रियासत जनमत संग्रह के आधार पर भारत में मिला ली गई।

परंतु कश्मीर के विषय में सरदार कुछ नहीं कर पाए क्योंकि शेख अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री नेहरू की मित्रता के कारण बहुत महत्व प्राप्त हुआ वे स्वतंत्र कश्मीर के स्वप्न देखने लगे। जम्मू-कश्मीर के महाराज हरीसिंह भी जम्मू कश्मीर को तटस्थ राष्ट्र के रूप में स्वतंत्र रखना चाहते थे।

ऐसी स्थिति में महाराज ने दोनों देशों के साथ अस्थायी समझौता करने का प्रयास किया एवं भारत में जम्मू कश्मीर विलय में प्रश्न को टालते रहे। इसी कारण कश्मीर समस्या का जन्म हुआ।

27 अक्टूबर को भारतीय सेनाओं ने कश्मीर रक्षा अभियान आरंभ किया और 1 जनवरी, 1949 को युद्ध विराम होने तक भारतीय सेनाओं ने रियासत के अधिकांश भाग को हमलावरों से मुक्त करा लिया। 18 जनवरी, 1948 को प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने कश्मीर समस्या को सुरक्षा परिषद् में प्रस्तुत किया। 

6 फरवरी, 1954 में कश्मीर की संविधान सभा ने कश्मीर को भारत संघ में विलय की पुष्टि कर दी । अतः कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया और भारत ने 14 मई 1954 को संविधान के अनुच्छेद 370 में कश्मीर को भारत संघ में विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया। 

सुरक्षा परिषद् मे 1948 1949, 1957, 1962, 1964, 1965 तथा 1971 में भारत पाक में कश्मीर समस्या विषयक वाद विवाद हुए परंतु उनका कोई परिणाम नहीं निकला। 

1 सितम्बर, 1965 को अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर रेखा पार कर पाकिस्तान ने कश्मीर के छंब जोरिचया क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया सुरक्षा परिषद् के प्रयत्नों से दोनों देशों में 23 सितम्बर 1965 को युद्ध विराम हुआ। 10 जनवरी, 1965 को ताशकंद समझौता हुआ जिसमें अपने विवादों को शांतिपूर्ण उपायों से सुलझाने का निश्चय किया।

शेख मुजीबुर्रहमान द्वारा स्थानीय बंगलादेश की घोषणा करने पर 25 मार्च, 1971 को पूर्वी बंगाल में गृह युद्ध प्रारंभ हो गया। परिणाम स्वरूप एक लाख शरणार्थियों के भारत में आने से भारत पाक में भीषण तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई। 3 दिसम्बर, 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। 

युद्ध में पाकिस्तान की पराजय हुई। 2 जुलाई, 1972 को शिमला समझौता हुआ जिसके आधार पर दोनों पक्षों में मतभेदों का द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने कर निश्चय किया।

पाकिस्तान 1989 से कश्मीर के आतंकवादियों को सैन्य प्रशिक्षण एवं हथियार देकर भारत के विरूद्ध अघोषित युद्ध की स्थिति उत्पन्न कर रहा है अतः कश्मीर समस्या के संदर्भ में भारत पाक संबंध असामान्य तथा तनावपूर्ण होते जा रहे हैं।

पाकिस्तान द्वारा भारत के विरूद्ध जेहाद अर्थात् साम्प्रदायिक आक्रामक नीति के कारण भारत पाक के मध्य शांति युद्ध ने अनेक बार सशस्त्र युद्ध का रूप धारण कर लिया। 

पाकिस्तान ने कश्मीर समस्या का इस्लामीकरण कर दिया ताकि उसे विश्व राजनीति में मुस्लिम देशों का भारत के विरूद्ध समर्थन मिलता रहे। सितम्बर 1963 में श्रीनगर की हजरत बल मस्जिद से हजरत मुहम्मद साहब के पवित्र बाल की चोरी होने पर पाकिस्तान ने भारत में विशेषकर कश्मीर में साम्प्रदायिक दंगे भड़काने का प्रयास किया।

पाकिस्तान के शस्त्रीकरण तथा SEATO एवं SENTO का सदस्य बन जाने से दोनों देशों के संबंधों में कटुता बढ़ी यद्यपि पाकिस्तान ने 1972 में सियटों तथा 1971 में सेन्टों की सदस्यता छोड़ दी फिर भी उसका शस्त्रीकरण एवं सैन्यीकरण भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

1972 के पश्चात् भारत पाक संबंधों में उतार-चढ़ाव आते रहें शिमला समझौते की भावना के अनुरूप दोनों देशोंमें 1976 में पाक व्यापार जहाजरानी हवाई उड़ानों और यात्रा सुविधा संबंधी अनेक समझौते सम्पन्न हुए। विदेश मंत्री अटलबिहारी बाजपेयी ने फरवरी 1976 में पाकिस्तान की सदभावना यात्रा की।

परिणामस्वरूप दोनों देशों में अप्रैल 1976 में सलाल जल संधि उत्पन्न हुई। यह संधि भारत पाक संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण समझौता था। 21 दिसम्बर, 1986 को भारत और पाकिस्तान एक दूसरे के परमाणु संस्थानों पर हमला नहीं करने का समझौता किया। 

पाकिस्तान ने भारत द्वारा प्रस्तावित युद्ध विराम एवं शांति सहयोग मित्रता की संधि को स्वीकार नहीं किया। कश्मीर के प्रश्न का विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में उठाकर शिमला समझौते का अनादर किया। पाकिस्तान ने अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर एवं बाबरी मस्जिद के संदर्भ में नवम्बर, 1989 तथा पुनः 2 नवम्बर, 1991 को वक्तव्य देकर भारत के आन्तरिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप किया है।

भारत और पाकिस्तान दोनों ही पड़ोसी देश है किन्तु पाकिस्तान की विदेश नीति प्रारंभ से ही भारत विरोधी रही है।

1. हैदराबाद विवाद - हैदराबाद का भारत संघ से मिलना जिसे पाकिस्तान ने तीन बार संयुक्त राष्ट्रसंघ में उठाया।

2. जूनागढ़ समस्या - यह जूनागढ़ की एक छोटी-सी समस्या थी जिसका राजा मुसलमान था तथा पाकिस्तान में सम्मिलित होना चाहता था। अतः जनता ने विद्रोह किया और भारत को हस्तक्षेप करना पड़ा। जनमत संग्रह भारत के पक्ष में हुआ और जूनागढ़ का विलय भारत में किया गया। 

3. ऋण अदायगी - भारत सरकार ने इंग्लैण्ड सरकार के सारे ऋण स्वीकार किए इसके अंतर्गत पाकिस्तान को पाँच वर्षो के भीतर 300 करोड़ ऋण भारत को देना था किन्तु पाकिस्तान ने ऋण देने में आना- कानी की जिससे कटुता उत्पन्न हो गई।

4 शरणार्थी समस्या - भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय साम्प्रदायिक दंगों के कारण हजारों की संख्या में शरणार्थी भागकर भारत आ गए। परंतु पाकिस्तान सरकार ने हिन्दुओं की रक्षा नहीं की इस कारण ये हिन्दू शरणार्थी पाकिस्तान में अपनी संपत्ति छोड़ आए और आज भी शरणार्थी की समस्या बनी हुई है।

दोनों देशों में मैत्रीपूर्ण एवं शांतिपूर्ण सहयोग एवं प्रगति के लिए दो प्रमुख समझौते किए गए–1.ताशकंद समझौता, 2. शिमला समझौता। 

1. ताशकंद समझौता - सोवियत रूस के प्रधानमंत्री कोसिगिन की पहल पर भारत के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खाँ ताशकंद पहुँचे थे। 10 जनवरी, 1966 के दोनों देशों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसे ताशकंद समझौता के नाम से जाना जाता है, इस समझौते की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं

1. दोनों राष्ट्रों द्वारा अच्छे पड़ोसियों जैसे संबंध स्थापित करने के प्रयास संयुक्त राष्ट्र संघ घोषणा पत्र के अनुसार किए जाएँगे। दोनों देशों के सैनिक 25 फरवरी, 1966 के पूर्व उस स्थान पर वापस चले जाएँगे जहाँ वे अगस्त, 1965 के पूर्व थे।

2. दोनों देश युद्ध विराम की शर्तों का पालन करेंगे।

3. दोनों देश एक दूसरे के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। दोनों देशों के उच्च आयुक्त अपने पदों पर वापस चले जाएँगे तथा दोनों देशों में राजनयिक संबंध स्थापित किए जाएँगे। 

4. दोनों देश एक दूसरे के विरुद्ध होने वाले प्रचार को निरुत्साहित तथा मैत्रीपूर्ण संबंधों की वृद्धि करने वाले प्रचार को प्रोत्साहन देंगे।

5. दोनों देश युद्ध बंदियों का प्रत्यावर्तन करेंगे। इसी समझौते के अंतर्गत भारत ने पाकिस्तान के 1 लाख युद्धबंदी लौटा दिए ।

2. शिमला समझौता - श्रीमती इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्रित्व काल में दोनों देशों के संबंधों को सामान्य बनाने के लिए शिमला समझौता किया गया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने 13 जुलाई, 1972 को निम्न समझौता किया। 

1. दोनों देशों की सरकारें परस्पर संबंध को स्थापित करके कटुता समाप्त करेंगे।

2. दोनों एक दूसरे के विरूद्ध घृणित प्रचार नहीं करेंगे।

3. दोनों देशों के मध्य लगातार जल, थल, वायुमार्गो आवागमन एवं संचार पुनः प्रारंभ करेंगे।

4. दोनों देश व्यापारिक आर्थिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में आदान-प्रदान करेंगे।

5. दोनों देश शिमला समझौते के क्रियान्वयन के लिए निरंतर प्रयास करेंगे।

निष्कर्ष - भारत-पाक संबंधों के बारे में माइकल ब्रेचर ने उचित ही कहा है- भारत पाकिस्तान सदैव अघोषित युद्ध की स्थिति में रहे हैं। दोनों देशों में मतभेद के आधारभूत कारणों की विवेचना करते हुए। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय संसद में कहा था- लोगों में यह भ्रांतिपूर्ण धारणा है कि कश्मीर विवाद ही भारत पाक संघर्ष का मूल कारण है। हमारी मूलभूत विचारधारा अलग है किंतु हम पंथ निरपेक्षवाद में विश्वास रखते हैं।

भारत और पाक संबंधों में आज तक तनाव है। पाकिस्तान आज भी भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। भारत में आतंकवाद को फैलाने में मदद रहा है। भारत व पाकिस्तान के मध्य तनाव व मतभेद के निम्न कारण हैं-

1. पाकिस्तान जम्मू कश्मीर तथा पंजाब राज्य में पाकिस्तान प्रशिक्षित घुसपैठियों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करके भारत की सीमा में सम्प्रदायवाद तथा आतंकवाद फैलाने हेतु भेज रहा है।

2. पाकिस्तान अनेक अंतर्राष्ट्रीय मंचों में शिमला समझौते का खुला उल्लंघन करके कश्मीर में जनमत संग्रह की माँग उठाता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर समस्या का इस्लामीकरण करने का प्रयास करता है तो दोनों देशों के मध्य संबंध में कटुता आ जाती है।

3. पाक सिंध सीमा को सील करके भारी संख्या में सैन्य बल तैनात कर रहा है, भारत के खिलाफ यह आरोप लगा रहा है कि वह सिंध में तोड़फोड़ कर रहा है।

4. पाकिस्तान का आण्विक कार्यक्रम तथा अणु आयुधों का निर्माण भारत के लिए प्रबल चुनौती है वह शस्त्रीकरण हेतु निरंतर अमेरिका व चीन से हथियार लेता रहा है।

5. भारत व पाक के मध्य महत्वपूर्ण समस्या सियाचीन ग्लेशियर विवाद है हालांकि इस पर कई बार दोनों देशों के मध्य सचिव स्तर पर वार्ता हो चुकी है फिर भी कोई समझौता नहीं हो पा रहा है।

6. पाकिस्तान के राष्ट्रपति समय-समय पर भारत विरोधी बयान, कश्मीर समस्या पर गलत टिप्पणी करते रहते हैं जिससे कई बार किए गए समझौते बेकार हो जाते हैं।

7. पाकिस्तान के कुछ अनुदार राजनीतिज्ञ समय-समय पर सत्तारुढ़ राष्ट्रपति पर दबाव डालकर तथा तुच्छ राजनीति करके दोनों के संबंधों को सामान्य करने में रोड़े अटकाते रहते हैं।

8. आज भारत के प्रति पाकिस्तान की शत्रुता का रुप धार्मिक-राजनीति का भी अंग बन गया है यही कारण है कि दोनों के मध्य संबंध अविराम सामान्य नहीं हो पा रहे हैं यद्यपि बार-बार प्रयास होते रहते हैं।

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