संज्ञा किसी भी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, प्राणी, गुण और भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा एक ऐसा शब्द है जो नाम को इंगित करता है। संज्ञा के पांच भेद होते हैं। व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा भा…
दो ध्वनियों के परस्पर मेल से जो विकार अथवा परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। संधि केवल तत्सम शब्दों में ही होती हैं। जैसे - भोजन+आलय - भोजनालय संधि का अर्थ जोड़ना होता हैं। संधि दो वर्ण या …
क्रिया शब्द वाक्य रचना में आम तौर पर घटना या होने की स्थिति बताती है। कई भाषाओं में काल, पहलू , मनोदशा और आवाज को सांकेतिक शब्दों में बदलने के लिए क्रियाओं को विभक्त किया जाता है। क्रिया व्यक्ति, लिं…
किसी विस्तृत अपठित गद्यांश, विवरण, सविस्तार व्याख्या, वक्तव्य, पत्र व्यवहार या लेख के तथ्यों और निर्देशों के ऐसे संयोजन को सार लेखन कहते हैं, जिसमें अप्रासंगिक, असम्बद्ध, पुनरावृत्त, अनावश्यक बातों क…
संक्षिप्ति किसे कहते हैं संक्षिप्ति वस्तुतः मनुष्य की निरन्तर सहजता की ओर जाने की प्रकृति का परिचायक है। संक्षिप्ति का अर्थ शब्दों के संक्षिप्त रूप से है। ये शब्दों के वे संकेत या चिन्ह है जो बाद मे…
व्याकरण उस विधा अथवा शास्त्र का नाम है जिसके द्वारा हम किसी भाषा के शुद्ध बोलने, लिखने तथा पढ़ने का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। देवेन्द्र नाथ शर्मा ने व्याकरणिक कोटियों को परिभाषित करते हुए लिखा है क…
किसी पत्र की प्रतिलिपि या मूल-पत्र को जब किसी अन्य अधिकारी के पास आवश्यक कार्यवाही हेतु भेजा जाता है, तब उस प्रतिलिपि या मूल-पत्र के नीचे पृष्ठांकन का प्रयोग किया जाता है। पत्राचार की यह लघुतम प्रणाल…
जब किसी व्यंजन का मेल किसी स्वर या व्यंजन से होता है, तब उससे परिवर्तन होकर विकार उत्पन्न होता है, इसी को व्यंजन संधि कहते हैं। 1. सत् + वाणी = सद्वाणी 2. जगत + नाथ = जगन्नाथ 3. सम + गम = …