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नगर से आप क्या समझते हैं?

नगर के विकास का इतिहास मानवीय संसाधनों के विकास के साथ सम्बद्ध रहा है। मानव उद्विकास के क्रम में मनुष्य को विभिन्न अवस्थाओं से होकर सभ्यता के वर्तमान स्तर तक पहुँचा दिया है। इसी क्रम में आखेट अवस्था,…

वर्ण की उत्पत्ति के सिद्धान्त - varn vyavastha kee utpatti ke siddhaant

विश्व में भारतीय समाज का महत्व तथा पहचान संस्कृति के कारण ही होती रही है। प्राचीनकाल से ही अनेक सामाजिक संस्थाओं का उदय होता रहा है। जिसके द्वारा व्यक्तियों की आवश्यकताओं की पूर्ति होती रही तथा समाज …

धर्म क्या है - dharm kya hai

आदिकाल से ही प्रत्येक समाज में धर्म किसी-न-किसी रूप में विद्यमान रहा है। रिलीजन का शाब्दिक अर्थ है पवित्रता। इसकी व्युत्पत्ति लैटिन के ‘Religion' शब्द से हुई है। जिसका अर्थ पवित्रता, साधु…

कर्म क्या है - कर्म का सिद्धांत - karm kya hai karm ka siddhant

कर्म शब्द की व्युत्पत्ति 'कृ' धातु से हुई है जिसका अर्थ है करना 'व्यापार' या 'हलचल' । इस अर्थ की दृष्टि से मनुष्य जो कुछ करता है। वह सभी 'कर्म' के से अन्तर्गत आता है -…

वर्ण-व्यवस्था क्या है - varn-vyavastha kya hai

वर्ण का आशय – वर्ण शब्द 'वृम् वरणो' धातु से उत्पन्न हुआ है। इसका अर्थ है वरण करना अथवा चुनना। इस प्रकार वरण से तात्पर्य किसी विशेष व्यवसाय को चुनने या अपनाने से है। वर्ण उस वर्ग का सूचक शब्द …

आश्रम व्यवस्था क्या है - ashram vyavastha ka samajshastriya mahatva

प्राचीन भारतीय संस्कृति में सामाजिक व्यवस्थाओं का निर्माण व्यक्ति के जीवन में सर्वांगीण विकास के लिये हुआ। आश्रम की व्यवस्था का भी यही उद्देश्य माना जा सकता है। आर्यजन कर्मण्यतावादी थे और कर्म करते ह…