कुटीर उद्योग को दो भागों में बाँटा जाता है - 1. ग्रामीण कुटीर उद्योग, 2. शहरी कुटीर उद्योग। 1. ग्रामीण कुटीर उद्योग - ग्रामीण कुटीर उद्योग वे हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किये…
भारत के औद्योगिक विकास में लघु एवं कुटीर उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार ने योजनावधि में इनके विकास के लिए अनेक प्रयास किये हैं। 1950 में लघु औद्योगिक इकाइय…
लघु एवं कुटीर उद्योगों के सुधार के लिए निम्न उपाय किये जा सकते हैं - 1. उत्पादन तकनीक में सुधार - लघु एवं कुटीर उद्योगों को अपनी उत्पादन तकनीक में सुधार के लिए विशेष प्रयास करना चाहिए। उत्पा…
भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु एवं कुटीर उद्योग का महत्वपूर्ण स्थान है। महात्मा गाँधी के शब्दों में, भारत का कल्याण उसके कुटीर उद्योग में निहित है। योजना आयोग के अनुसार - लघु एवं कुटीर उद्य…
लघु एवं कुटीर उद्योगों की प्रमुख समस्याएँ निम्नांकित हैं- 1. कच्चे माल की समस्या - लघु एवं कुटीर उद्योगों की कच्चे माल से संबंधित पाँच प्रकार की समस्याएँ हैं– स्थानीय व्यापारियों द्…
कर कितने प्रकार के होते हैं वर्तमान में विश्व के लगभग सभी देशों में बहुकर प्रणाली प्रचलित है। करों के स्वभाव, उद्देश्य, कार्य अथवा भुगतान विधि के आधार पर विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने करों का वर्गीकरण …
स्वतंत्र भारत सरकार ने सन् 1948 में नवीन औद्योगिक नीति की घोषणा की इस नवीन नीति ने भारत में औद्योगीकरण के द्वार खोल दिये। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से भारत का तीव्रगति से औद्योगिक व…
भारत का सूती वस्त्र उद्योग देश का सबसे बड़ा संगठित उपभोक्ता उद्योग है, अत: संगठित उद्योगों में इसका प्रथम स्थान है। विश्व में सूत एवं कपड़े के उत्पादन में भारत का तीसरा स्थान है तथा कपास के उप…