वर्तमान समय में न्यायिक पुनरावलोकन के सिद्धान्त का महत्त्व बढ़ गया है। प्रो सक्सेना के अनुसार आधुनिक समाज में जो कि शक्ति संघर्ष के सिद्धान्तों से घिरा हुआ है। न्यायिक पुनर्विलोकन का अर्थ एवं महत्व …
चीन की समस्त राज-व्यवस्था कार्ल मार्क्स, लेनिन और माओ के सिद्धान्तों पर आधारित है, अतः चीन की न्याय व्यवस्था, विधि और न्याय का आधार भी यही है । स्वाभाविक रूप से यह न्याय व्यवस्था पाश्चात्य न्याय-व्यव…
संघीय न्यायालयों की व्यवस्था में सर्वोच्च स्तरीय न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय इसकी व्यवस्था अमेरिकी संविधान में की गई है। अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 1789 ई. के न्यायिक अधिनियम द्वारा की ग…
अमेरिका में न्यायिक पुनर्विलोकन उत्तर अमेरिका के संविधान में स्पष्ट रूप से कहीं भी न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति का उल्लेख नहीं है। अमेरिका में न्यायिक पुनर्निरीक्षण के कार्यकरण की विवेचना कीजिए। फि…
न्यायपालिका शासन का वह अंग होती है जो विधियों की व्याख्या करती है तथा उनका उल्लंघन करने वालों को उचित दण्ड देती है। साधारण अर्थ में विधियों की व्याख्या करने व उनका उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को दण्…
न्यायपालिका शासन का वह अंग है जो कानूनों की व्याख्या करता है और न्याय की व्यवस्था करता है। यदि शासन का यह अंग किसी अन्य सत्ता के अधीन हो तो वह निष्पक्षता के साथ निर्णयन देने में असमर्थ होगा। न्यायपाल…
यूनाइटेड किंगडम संविधान की एक अनुपम देन विधि का शासन है। इसका अभिप्राय यह है कि ब्रिटेन में किसी व्यक्ति विशेष की निजी इच्छा का शासन न होकर विधि अर्थात् कानून का शासन है। चाहे कोई व्यक्ति कितना ही …
ब्रिटिश सरकार की कार्यपालिका व व्यवस्थापिका के बाद तीसरा अंग न्यायपालिका है जिसका मुख्य कार्य संसद द्वारा पारित अधिनियमों का प्रयोग करना है। वे अपने आप प्रयुक्त नहीं होते हैं, वरन् व्यक्तियों द्वारा …
विट्जरलैण्ड एक संघ राज्य है और न्यायपालिका के अन्तर्गत संघीय क्षेत्र में एक ही संस्था है, जिसे संविधान ने नाम दिया है - स्विस संघीय न्यायाधिकरण । स्विस संघीय न्यायाधिकरण स्विस संविधान के अनुच…
भारत की राजनीतिक प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी का अध्ययन किया जाए, तो यह स्पष्ट हो जाता है भारत के प्रसंग में तो स्थिति अधिक असंतोषजनक है। वर्तमान समय में 543 सदस्यों की लोकसभा में 48 (8.8 प्रति…
ग्रीन के राजनीतिक दर्शन को योगदान एवं महत्व के बारे में वैपर ने लिखा है कि ग्रीन ने उदारवाद और आदर्शवाद के दोषों का संशोधन किया और उदारवाद को नैतिक तथा सामाजिक रूप प्रदान किया और आदर्शवाद को परिष्कार…
ग्रीन के राज्य सिद्धान्त पर एक आलोचनात्मक निबन्ध लिखें। (1) ग्रीन के राज्य की प्रकृति-सम्बन्धी विचार - ग्रीन के अनुसार, राज्य कृत्रिम समुदाय नहीं है। राज्य का जन्म तो मनुष्य के मस्तिष्क से हुआ है। ग…